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15 Mar 2023 · 1 min read

हवाओं ने पतझड़ में, साजिशों का सहारा लिया,

हवाओं ने पतझड़ में, साजिशों का सहारा लिया,
जुड़े थे कभी शाख़ से, ज़मीं ने बुला लिया।
आँधियों ने ज़मीं को भी, अपना ना बनने दिया,
घर ढूंढने की आस में, बेघर बना दिया।

©® मनीषा मंजरी
Source – यादों की आहटें (coming soon)

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