*हवाएँ सर्द निगोड़ी (कुंडलिया)*

*हवाएँ सर्द निगोड़ी (कुंडलिया)*
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थोड़ी कमरे की झिरी ,खुली रह गई रात
तेज हवा ने कर दिया ,सर्दी का आघात
सर्दी का आघात ,काम कंबल कब आया
ओढ़ा एक लिहाफ ,बदन तब जा गरमाया
कहते रवि कविराय ,हवाएँ सर्द निगोड़ी
ले लेती हैं प्राण , अगर आ जाएँ थोड़ी
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*रचयिता : रवि प्रकाश* ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
झिरी = छोटा सुराख ,छेद ,किवाड़ आदि बंद करने पर भी जो थोड़ी-सी जगह रह जाती है और जिससे हवा आती है