Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2016 · 1 min read

हर सुबह दीया बुझाता हूँ

हर सुबह दीया बुझाता हूँ
शाम होते फिर जलाता हूँ।1

टूटते रहते यहाँ सपने
आस मैं फिर से लगाता हूँ।2

कौन कहता है खता अपनी
क्यूँ भला खुद की बताता हूँ? 3

नाचते जो, जीत जाते हैं
मैं नचाते मुस्कुराता हूँ।4

लाज की परवा किसे अब है?
बेवजह मैं ही लजाता हूँ।5

श्वेद-कण, बन ओस की बूँदें,
जी रहा, पावक नहाता हूँ।6

उर्वरे!भागे अँधेरा भी,
इसलिये तिनके जलाता हूँ।7
@मनन

292 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"निज भाषा का गौरव: हमारी मातृभाषा"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"ढूँढ़िए"
Dr. Kishan tandon kranti
HitClub là nhà cái game bài ra mắt tại thị trường Việt Nam v
HitClub là nhà cái game bài ra mắt tại thị trường Việt Nam v
HitClub
Partnership Deed
Partnership Deed
विक्रम सिंह
ये साल भी मेरी यादों की गठरी समेटे हमसे विदा लेने को है। सपन
ये साल भी मेरी यादों की गठरी समेटे हमसे विदा लेने को है। सपन
Swara Kumari arya
जब फैसला लिया तुमने
जब फैसला लिया तुमने
हिमांशु Kulshrestha
पूर्णिमांजलि काव्य संग्रह
पूर्णिमांजलि काव्य संग्रह
Sudhir srivastava
मोहब्बत-ए-सितम
मोहब्बत-ए-सितम
Neeraj Mishra " नीर "
प्यार में धोखा
प्यार में धोखा
Rambali Mishra
गुरु गोविंद सिंह
गुरु गोविंद सिंह
Anop Bhambu
प्यारा हिन्दुस्तान
प्यारा हिन्दुस्तान
Dinesh Kumar Gangwar
बलि और वामन, राधे श्यामी छंद
बलि और वामन, राधे श्यामी छंद
guru saxena
* आए राम हैं *
* आए राम हैं *
surenderpal vaidya
अक्सर ये ख्याल सताता है
अक्सर ये ख्याल सताता है
Chitra Bisht
बाहर-भीतर
बाहर-भीतर
Dhirendra Singh
न जुमला, न आरोपों की राजारानी चाहिए।
न जुमला, न आरोपों की राजारानी चाहिए।
Sanjay ' शून्य'
भावों का विस्तृत आकाश और कलम की बगीया
भावों का विस्तृत आकाश और कलम की बगीया
©️ दामिनी नारायण सिंह
*गरीबी में न्याय व्यवस्था (जेल से)*
*गरीबी में न्याय व्यवस्था (जेल से)*
Dushyant Kumar
क्रोध
क्रोध
Durgesh Bhatt
*असीमित सिंधु है लेकिन, भरा जल से बहुत खारा (हिंदी गजल)*
*असीमित सिंधु है लेकिन, भरा जल से बहुत खारा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
राधेश्यामी छंद‌ (मत्त सवैया ) विधान (सउदाहरण )
राधेश्यामी छंद‌ (मत्त सवैया ) विधान (सउदाहरण )
Subhash Singhai
"मोबाइल देवता"
Rahul Singh
उनकी आंखो मे बात अलग है
उनकी आंखो मे बात अलग है
Vansh Agarwal
साहित्य में बढ़ता व्यवसायीकरण
साहित्य में बढ़ता व्यवसायीकरण
Shashi Mahajan
चलो चलते हैं धरा पर...
चलो चलते हैं धरा पर...
मनोज कर्ण
*तू कौन*
*तू कौन*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
थार का सैनिक
थार का सैनिक
Rajdeep Singh Inda
3366.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3366.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
वो अनजाना शहर
वो अनजाना शहर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
क्या बुरा है जिन्दगी में,चल तो रही हैं ।
अश्विनी (विप्र)
Loading...