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20 Mar 2024 · 1 min read

हर कोना गुलाबों सा ये महकाए हुए हैं

हर कोना गुलाबों सा ये महकाए हुए हैं
कुछ लोग तेरी बज़्म में जो आए हुए हैं

कुछ लोग यहाँ रोज ही लड़ने में हैं मशरूफ
वो चैन से हैं जो इन्हें उलझाए हुए हैं

देखें कि वो कब प्यार की बरसात करेंगे
बादल की तरह ज़ेहन में जो छाए हुए हैं

उनको नहीं मालूम क्या जीवन की हक़ीक़त
जो कोठियों की चाह में ललचाए हुए हैं

आये हैं तो दिल खोल के कहना है जो कहिए
दुल्हन की तरह आप तो शरमाए हुए हैं

हर ओर नहीं बाग़बाँ का एक सा है घ्यान
कुछ फूल तभी बाग़ के मुरझाए हुए हैं

कुछ लोग जा के बस गए ‘आकाश’ नगर में
हम गाँव के ही शोर से घबराए हुए हैं

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 20/03/2024
_____________________
मापनी- 221 1221 1221 122

104 Views

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