हर कोई जिन्दगी में अब्बल होने की होड़ में भाग रहा है
हर कोई जिन्दगी में अब्बल होने की होड़ में भाग रहा है
टिकने वाले को ज्यादा मिलता है यह मेरा अनुभव रहा है
मैंने भी सब्र- ए -हिज्र काटी है जिंदगी की तमाम किस्तें ,
गैरों से पाई हैं शोहरतें हमने अपनों से हार का गम सहा है
✍कवि दीपक सरल