Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2023 · 1 min read

हम ये कैसा मलाल कर बैठे

(18)
हम ये कैसा मलाल कर बैठे।
दिल का तुम से सवाल कर बैठे ।।

प्यार करना हमें न आया मगर।
इश्क में हम कमाल कर बैठे।।

खोये थे हम तिरे खयालों में।
पर हकीकत ख़याल कर बैठे।।

ज़िक तेरा जबान पर ला कर ।
अपना चेहरा गुलाल कर बैठे ।।

आप को चाहते हैं उन से कहा।
हम भी कैसी मजाल कर बैठे ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
13 Likes · 613 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
जून की दोपहर
जून की दोपहर
Kanchan Khanna
"यही जीवन है"
Dr. Kishan tandon kranti
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Bodhisatva kastooriya
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
AJAY AMITABH SUMAN
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
।।अथ श्री सत्यनारायण कथा चतुर्थ अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*जीवन के गान*
*जीवन के गान*
Mukta Rashmi
ठिठुरन
ठिठुरन
Mahender Singh
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
सूरज चाचा ! क्यों हो रहे हो इतना गर्म ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
कोई हमारे लिए जब तक ही खास होता है
कोई हमारे लिए जब तक ही खास होता है
रुचि शर्मा
रतन महान , एक श्रद्धांजलि
रतन महान , एक श्रद्धांजलि
मधुसूदन गौतम
భారత దేశ వీరుల్లారా
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
!! होली के दिन !!
!! होली के दिन !!
Chunnu Lal Gupta
बुंदेली हास्य मुकरियां
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दहेज रहित वैवाहिकी (लघुकथा)
दहेज रहित वैवाहिकी (लघुकथा)
गुमनाम 'बाबा'
It's just you
It's just you
Chaahat
2561.पूर्णिका
2561.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जय श्री राम
जय श्री राम
Indu Singh
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
शेखर सिंह
कितना आसान होता है किसी रिश्ते को बनाना
कितना आसान होता है किसी रिश्ते को बनाना
पूर्वार्थ
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
स्वप्न ....
स्वप्न ....
sushil sarna
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
Suryakant Dwivedi
इक रोज़ मैं सोया था,
इक रोज़ मैं सोया था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
करो पढ़ाई
करो पढ़ाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम हमारा हो ख़्वाब लिख देंगे
तुम हमारा हो ख़्वाब लिख देंगे
Dr Archana Gupta
"चाँदनी रातें"
Pushpraj Anant
जज़्बात पिघलते रहे
जज़्बात पिघलते रहे
Surinder blackpen
संतुष्टि
संतुष्टि
Dr. Rajeev Jain
Loading...