हम भी पहेली ही बुझाएँगे (गीतिका)*
*हम भी पहेली ही बुझाएँगे (गीतिका)*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
घुटन-सी लग रही है अब ,हवा ताजी बहाएँगे
कहीं से ढूँढकर मौसम नया इस बार लाएँगे
(2)
घरों में आग अब लगने लगी है जिन चिरागों से
जलाया था हम ही ने अब उन्हें हम ही बुझाएँगे
(3)
डरे-सहमें हैं ये सब लोग जो चुपचाप बैठे हैं
ये मन की बात अपनी वक्त आने पर बताएँगे
(4)
कभी माहौल में हमने ये खामोशी नहीं देखी
न जाने कौन से तूफान अब इस बार आएँगे
(5)
दिलों की बात कोई आदमी कहना नहीं चाहता
सभी के साथ अब हम भी पहेली ही बुझाएँगे
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451