Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2022 · 2 min read

*हम पर अत्याचार क्यों?*

खाने से ईर्ष्या, पाने से ईर्ष्या।
छूने से ईर्ष्या, पीने से ईर्ष्या।
मूछों से ईर्ष्या, पूछो तो ईर्ष्या।
घोड़ी से ईर्ष्या, जोड़ी से ईर्ष्या।
विरोध से ईर्ष्या, मोद से ईर्ष्या।
सच्चाई से ईर्ष्या, सफाई से ईर्ष्या।
बारात से ईर्ष्या, परछाई से ईर्ष्या।
विचार से ईर्ष्या, अच्छाई से ईर्ष्या।
ईर्ष्या ईर्ष्या हम से ईर्ष्या द्वेष का विचार क्यों।
हम पर अत्याचार की क्यों?।।१।।
मूत्र पीलो तुम खुशी से, गोबर प्यार से खा लेते।
गोदी में ले लेते जानवर, कुत्ते से मुंह चटवा लेते।
घोड़ी से क्या रिश्ता खास है,चढ़े बारात तो इतराते।
गाय कुत्ता बिल्ली की मौत पर, क्यों इतना चिल्लाते हो?
मुंह पर ताला क्यों लग जाता, जब हिंदू हमें बताते हो?
अत्याचार बलात्कार हत्या और कितने जुर्म की गिनाऊं मैं।
रोहित वेमुला जितेंद्र मेघवाल फूलन देवी इन्द्र मेघवाल,
प्रवीण कुमार मनीषा वाल्मीकि और कितने नाम गिनाऊं मैं।
जाति है कि जाती नहीं किसी जाति पर वार क्यों?
हम पर अत्याचार क्यों?।।२।।
मटका छुआ मारा तुमने, ऐसा दुर्व्यवहार किया।
तरीका बदला सोच वही है, हर बार अत्याचार किया।
कटवाते पहले द्रोणाचार्य अंगूठा, आज जिंदा मार दिया।
दलितों पर ही क्यों जुल्म ढहाते, कारण तो बतलाओ तुम।
दलित क्या इंसान नहीं होते, इतना तो बतलाओ तुम।
हो जाएगा तुमको दर्द का अनुभव, खुद के साथ ऐसा बीते।
अक्ल ठिकाने हो जाए तुम्हारी, घर अपने सुनों तुम चीखें।
ऐसी घटनाओं पर विधायक हमारे, सांसद मंत्री मौन हैं।
रिजर्वेशन से मिल गई सीटें,बहरे गूंगों सा व्यवहार क्यों?
हम पर अत्याचार क्यों?।।३।।
सौ में से पिचासी हैं हम, ना सोता शेर जगाओ तुम।
बिरसा मुण्डा वीर शिवाजी, एकलव्य से धनुर्धारी हम।
कोरेगांव हम भूले नहीं अभी, इतिहास हमारा तुम जानो।
सम्राट अशोक के हम वंशज हैं, भीमराव के चेले हैं।
खतरों से ना हमें डराओ, हम खतरों से ही खेले हैं।
नामदेव तुकाराम कबीर रविदास, गौतम से सन्यासी हम।
सावित्री रमा व झलकारी ज्ञान करूणा युद्ध में भारी हम।
साहूजी फूले ललई पेरियार, काशीराम से संघर्षी।
याद नहीं मातादीन भंगी वीर उधम सिंह, डायर सा व्यवहार क्यों?
हम पर अत्याचार क्यों?।।४।।
जानते हैं पत्थर से जवाब देना, फिर भी शांति से समझाते हैं।
संविधान पर चलते हैं हम, इसलिए तुम्हें बताते हैं।
टकराव से ना मिलेगा कुछ भी, नुकसान हमारा सबका है।
सोच बदलो बचा लो देश, सम्मान हमारा सबका है।
औछी तुच्छ मानसिकता छोड़ो, धर्म जात को दो धिक्कार।
कोई किसी से कम नहीं है, पढ़े-लिखे बनो सोचो सार।
इन बातों में कुछ नहीं रखा, सोचो समझो करो विचार।
समझाने को लिखी है यह कृति, दुष्यन्त कुमार का पढ़ लो सार।
न्यायपालिका पर समान अधिकार हो, झूठा मीडिया का प्रचार क्यों?
हम पर अत्याचार क्यों?।।५।।

2 Likes · 2 Comments · 58 Views
You may also like:
जहांँ कुछ भी नहीं दिखता ..!
जहांँ कुछ भी नहीं दिखता ..!
Ranjana Verma
चार वीर सिपाही
चार वीर सिपाही
अनूप अम्बर
सुना था हमने, इश्क़ बेवफ़ाई का नाम है
सुना था हमने, इश्क़ बेवफ़ाई का नाम है
N.ksahu0007@writer
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
मां का हुआ आगमन नव पल्लव से हुआ श्रृंगार
Charu Mitra
💐प्रेम कौतुक-306💐
💐प्रेम कौतुक-306💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Tahrir kar rhe mere in choto ko ,
Sakshi Tripathi
हूं बहारों का मौसम
हूं बहारों का मौसम
साहित्य गौरव
उम्मीद का दामन थामें बैठे हैं।
उम्मीद का दामन थामें बैठे हैं।
Taj Mohammad
उलझनों से तप्त राहें, हैं पहेली सी बनी अब।
उलझनों से तप्त राहें, हैं पहेली सी बनी अब।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जैसी लफ़्ज़ों में बे'क़रारी है
जैसी लफ़्ज़ों में बे'क़रारी है
Dr fauzia Naseem shad
रंगों  में   यूँ  प्रेम   को   ऐसे   डालो   यार ।
रंगों में यूँ प्रेम को ऐसे डालो यार ।
Vijay kumar Pandey
सवैया /
सवैया /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बाल कहानी- बाल विवाह
बाल कहानी- बाल विवाह
SHAMA PARVEEN
"किताब और कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
दुनिया दिखावे पर मरती है , हम सादगी पर मरते हैं
दुनिया दिखावे पर मरती है , हम सादगी पर मरते...
कवि दीपक बवेजा
जिनके पास अखबार नहीं होते
जिनके पास अखबार नहीं होते
Surinder blackpen
सन २०२३ की मंगल कामनाएं
सन २०२३ की मंगल कामनाएं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
✍️जन्मदिन✍️
✍️जन्मदिन✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
🥰 होली पर कुछ लेख 🥰
🥰 होली पर कुछ लेख 🥰
Swati
दार्जलिंग का एक गाँव सुकना
दार्जलिंग का एक गाँव सुकना
Satish Srijan
Writing Challenge- जिम्मेदारी (Responsibility)
Writing Challenge- जिम्मेदारी (Responsibility)
Sahityapedia
मोहन तुम से तुम्हीं हो, ग्रथित अनन्वय श्लेष।
मोहन तुम से तुम्हीं हो, ग्रथित अनन्वय श्लेष।
डॉ.सीमा अग्रवाल
पैसा और ज़रूरत
पैसा और ज़रूरत
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
अधूरी रात
अधूरी रात
डी. के. निवातिया
भगतसिंह
भगतसिंह
Shekhar Chandra Mitra
#लघु कविता
#लघु कविता
*Author प्रणय प्रभात*
**चरम सीमा पर अश्लीलता**
**चरम सीमा पर अश्लीलता**
गायक और लेखक अजीत कुमार तलवार
भोलाराम का भोलापन
भोलाराम का भोलापन
विनोद सिल्ला
और प्रतीक्षा सही न जाये
और प्रतीक्षा सही न जाये
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
ट्रस्टीशिप विचार: 1982 में  प्रकाशित  मेरी पुस्तक
ट्रस्टीशिप विचार: 1982 में प्रकाशित मेरी पुस्तक
Ravi Prakash
Loading...