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31 Jul 2016 · 1 min read

हमें

सबक रोज ज़िन्दगी देती है हमें
मिलती नहीं दोस्ती कहती है हमे
जो मित्र दोस्त हमराही कहते रहे
आज नज़र भर न देख पाते है हमे

अनजानी सी दीवार देखती हमे
उस पार से इस पार तकती हमें
कहने को बहुत कुछ है दरमियाँ
चुप मगर उसकी भी कहती है हमें

कमी नही प्यार की जताती है हमे
वक्त को ही दोषी दिखाती है हमे
तू आज भी उतनी ही अज़ीज़ है
बस दिल बहुत अब दुखाती है हमे

वक़्त की कमी ये बताती थी हमे
वक़्त से ही फिर नज़र चुराती हमे
पीठ में दिया जो खंजर इसतरह
दर्द वो ही याद दिलाती है हमे

मान ले सही इलज़ाम जो दिए हमे
फिर क्यों नहीं सामने तूने कहे हमे
रुक रुक कर जो इस तरह चलती है
नश्तर फिर फिर क्यों चुभोती है हमे

जज़्बाती हूँ मैं तूने कहा हमें
हां ये सच भी कुबूल है हमे
नहीं याद कि मोहब्बत भी गुनाह
तो खुदा ही देगा इंसाफ अब हमे

Language: Hindi
8 Likes · 506 Views
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