हमें याद है ९ बजे रात के बाद एस .टी .डी. बूथ का मंजर ! लम्बी

हमें याद है ९ बजे रात के बाद एस .टी .डी. बूथ का मंजर ! लम्बी -लम्बी लाइनों में खड़े रहते थे ! कितने प्रतीक्षाओं के बाद टेलीफ़ोन हो पाता था ! गांवों में जिसके पास फ़ोन होते थे उन्हें पूज्य माना जाता था ! नहीं तो इतने रात गए आपको बुलाएगा कौन ? ….आज हमें टेलीफोन की उत्कृष्ट सेवाओं ने हमारे जीवन को आसान बना रखा है फिर यह बेरुखी कैसी ?@परिमल