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12 Jun 2016 · 1 min read

हमें भी बता दो जहाँ जा रहे हो

कभी तो कहो की कहाँ जा रहे हो
हमें भी बता दो जहाँ जा रहे हो

वफ़ा और मंज़िल इशारा बनी हैं
न जाने सफर ले कहाँ जा रहे हो

ज़रा आसरा दो दीवाना बना कर
जुनूं बेकदर ले कहाँ जा रहे हो

खिसकना अगर है करीबा-भी जाओ
सरकते सरकते कहाँ जा रहे हो

लिखा नाम हमने गुमाँ से मोहब्बत
मिटाते लुटाते कहाँ जा रहे हो

बेनामी बनेगी दिलों की शिकायत
ले आवारगी अब कहाँ जा रहे हो।

~ सूफ़ी बेनाम

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