Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2016 · 2 min read

हमारा देश

बात जब देश की हो तो हर देशवासी अपने देश को प्रगति की राह में जाते हुए आगे बड़ते हुए और समृद्ध देखना चाहता है। पर न चाहते हुए भी आज जो देश के हालात बने हुए हैं उनसे हर कोई वाकिफ है। क्या देश की सुरक्षा और आन,शान की ज़िम्मेदारी सिर्फ देश के सैनिको या कुछ नेताओं का ही काम है क्या इसमें आम लोगों को कोई सरोकार नहीं होना चाहिए। दिन प्रतिदिन बड़ता भर्ष्टाचार, आतंकवाद इस वक्त देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। सिर्फ एक दूसरे को उसकी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाना या दूसरे को दोष देना सही नहीं है बल्कि अब वो समय आ गया है कि आपसी मतभेद भुलाकर सिर्फ देश के हित में जो बात हो, जो सही हो उसका साथ दिया जाए। आज़ादी पाकर भी अगर हम देश की अखंडता और एकता को न कायम रख पाए तो यह हमारे देश के लिए चिन्ता का विषय होगा। आतंकवाद की जड़ें धीरे धीरे देश को खोखला कर रही हैं। अगर अब भी आम जनता जागरूक न हुई तो बहुत देर हो जाएगी जिसके परिणाम बहुत घातक भी हो सकते हैं। क्योंकि बाहर के दिखाई देने वाले दुश्मनों से लड़ा जा सकता है पर देश के भीतर जो देश विरोधी नारे या देश के खिलाफ ताक्तें उभर रही हैं उन्हें समय रहते रोकना होगा। देश सिर्फ मेरा या तेरा नहीं है और न ही इसे किसी तरह से अलग देखा जा सकता है बस सबको मिलकर सजग रहना होगा बड़ रही चुनौतियों का समझदारी से और मिलजुल कर सामना करना होगा,क्योंकि अब एक होकर देश को मजबूत और सशक्त बनाने का समय आ गया है। इसके लिए हमें निरंत्तर प्रयासरत रहना होगा क्योंकि यह हमारा देश है। इसकी सुरक्षा और आन ,शान की ज़िम्मेदारी हम सब की है।।।
कामनी गुप्ता ***

Language: Hindi
Tag: लेख
578 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जब आपका मन नियंत्रण खो दें तो उस स्थिति में आप सारे शोकों का
जब आपका मन नियंत्रण खो दें तो उस स्थिति में आप सारे शोकों का
Rj Anand Prajapati
संवेदनहीन
संवेदनहीन
अखिलेश 'अखिल'
"Don't cling to someone just because you're lonely. We all e
पूर्वार्थ देव
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
वक्त के थपेड़ो ने जीना सीखा दिया
Pramila sultan
ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
ग़म ज़दा लोगों से जाके मिलते हैं
अंसार एटवी
बेबस बाप
बेबस बाप
Mandar Gangal
कर्मों का फल
कर्मों का फल
ओनिका सेतिया 'अनु '
पुस्तक जागो भारत
पुस्तक जागो भारत
Acharya Shilak Ram
"पहचानिए"
Dr. Kishan tandon kranti
"हमारी खामी"
Yogendra Chaturwedi
होली
होली
विशाल शुक्ल
आजकल इंसान
आजकल इंसान
SURYA PRAKASH SHARMA
कितनी सुहावनी शाम है।
कितनी सुहावनी शाम है।
जगदीश लववंशी
नई नसल की फसल
नई नसल की फसल
विजय कुमार अग्रवाल
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
आराधना
आराधना
Kanchan Khanna
" बंदिशें ज़ेल की "
Chunnu Lal Gupta
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
महाकाल
महाकाल
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
AJAY AMITABH SUMAN
प्यारी लगती है मुझे तेरी दी हुई हर निशानी,
प्यारी लगती है मुझे तेरी दी हुई हर निशानी,
Jyoti Roshni
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
मेरे घर के एक छेद से अविश्वास की एक रोशनी आती आती थी ।
मेरे घर के एक छेद से अविश्वास की एक रोशनी आती आती थी ।
अश्विनी (विप्र)
याद आते हैं
याद आते हैं
Juhi Grover
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दुर्मिल सवैया
दुर्मिल सवैया
Kamini Mishra
होली खेल रहे बरसाने ।
होली खेल रहे बरसाने ।
अनुराग दीक्षित
दोस्तों,
दोस्तों,
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
तेरी नज़रों में अब वो धार नहीं
तेरी नज़रों में अब वो धार नहीं
आकाश महेशपुरी
Loading...