Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2023 · 2 min read

*हनुमान जी*

।।हनुमानजी के पुत्र मकरध्वज की कथा।

• पौराणिक कथा के अनुसार रावण के
बलशाली पुत्र मेघनाद ने जब हनुमानजी को ब्रह्मास्त्र द्वारा बंदी बना लिया था और
रावण के सामने पेश किया गया, तो रावण की आज्ञा से सभी राक्षसो ने उनकी पूंछ मे आग लगा दी थी और अपनी पूंछ
की अग्नि को शांत करने के लिए हनुमान
जी समुद्र मे कूद पड़े,आग बुझाते समय
उनके शरीर से पसीने की एक बूँद पानी
मे गिर गई,और वह बूंद पानी मे एक
मछली के पेट मे चली गई,जिससे मछली
के गर्भ से एक बालक का जन्म हुआ, जो
मकरध्वज के नाम से जाना जाता है।
जब राम रावण के युद्ध मे रावण पराजित
होने लगा तो उसने अपने भाई अहिरावण
को बुलाया।अहिरावण रावण से भी अधिक शक्तिशाली और मायावी था।
उसने अपनी शक्ति से राम लक्ष्मण को
मूर्छित कर दिया और उनकी बली देने के
लिए पाताललोक ले गया।जब हनुमानजी
राम लक्ष्मण को खोजते हुए पाताल लोक
पहुंचे तो मुख्य द्वार पर उनका सामना
मकरध्वज से हुआ।मकरध्वज ने हनुमान
जी को द्वार पर रोक लिया और हनुमानजी
को अन्दर नही दिया तब दोनो मे भयंकर
युद्ध होने लगा।लेकिन दोनो ही एक दूसरे
पर भारी पड रहे थे,कोई भी हार नही मान
रहा था,तब हनुमानजी को आश्चर्य हुआ कि ऐसा कौन योद्धा है जो उनसे परास्त
नही हो रहा है,

तब हनुमानजी के पूछने पर
मकरध्वज ने अपने जन्म की कथा सुनाई
तो हनुमानजी ने कहा कि मै ही हनुमान हूं और मै ही तुम्हारा पिता हूं कहते हुए उन्होंने अपने पुत्र को अपने सीने से लगा
लिया।तब मकरध्वज ने कहा कि मै अपने
राजधर्म से बंधे होने के कारण मै आपको
भीतर प्रवेश नही करने दे सकता,अतः
आप मुझे एक जंजीर से बांधकर भीतर
प्रवेश कर सकते है।तब हनुमानजी ने
मकरध्वज को जंजीर से बांध दिया और
पाताललोक जाकर अहिरावण का वध किया और राम लक्ष्मण को मुक्त कराने के बाद जाते समय मकरध्वज को पाताललोक का राजा बना दिया।
मकरध्वज का एकमात्र मन्दिर ग्वालियर के करहिया के जंगलो मे स्थित है और जो
प्राकृतिक गुफाओ से परिपूर्ण है और आज
भी मंदिर परिसर मे अनवरत जल की धारा बहती है जो कि एक कुंड मे जाती है।
यहां सात मंजिल की एक ईमारत बनी हुई है,जिसे सतखंडा के नाम से जाना जाता है ।यहां 500 फुट की ऊंचाई पर एक पहाडी के बीच-बीच एक गुफा है जिसमे एक बाबा निवास करते है।
इस गुफा से निकलने वाली जल की धारा जो कि
गोमुख से निकलती है एक वनस्पतियो के बीच
से होकर निकलती है और कहा जाता है कि इस
जल को पीने से बच्चे बूढ़े सभी के जटिल से
जटिल रोग भी ठीक हो जाते है।
🚩🚩जय श्री राम🚩🚩
🙏🙏🙏🙏🌳🌳🙏🙏🙏🙏

Language: Hindi
616 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छंटेगा तम सूरज निकलेगा
छंटेगा तम सूरज निकलेगा
Dheerja Sharma
बहती नदी का करिश्मा देखो,
बहती नदी का करिश्मा देखो,
Buddha Prakash
जिसको चाहा है उम्र भर हमने..
जिसको चाहा है उम्र भर हमने..
Shweta Soni
अब किसी की याद नहीं आती
अब किसी की याद नहीं आती
Harminder Kaur
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
मन का मैल नहीं धुले
मन का मैल नहीं धुले
Paras Nath Jha
नसीहत
नसीहत
Slok maurya "umang"
जीवन में कितना ही धन -धन कर ले मनवा किंतु शौक़ पत्रिका में न
जीवन में कितना ही धन -धन कर ले मनवा किंतु शौक़ पत्रिका में न
Neelam Sharma
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
जो सरकार धर्म और जाति को लेकर बनी हो मंदिर और मस्जिद की बात
Jogendar singh
कारोबार
कारोबार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
"रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार
नूरफातिमा खातून नूरी
..
..
*प्रणय प्रभात*
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
shabina. Naaz
2739. *पूर्णिका*
2739. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*हनुमान के राम*
*हनुमान के राम*
Kavita Chouhan
रहता  है  जिसका  जैसा  व्यवहार,
रहता है जिसका जैसा व्यवहार,
Ajit Kumar "Karn"
दो शे'र ( चाँद )
दो शे'र ( चाँद )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
किसी भी वार्तालाप की यह अनिवार्यता है कि प्रयुक्त सभी शब्द स
किसी भी वार्तालाप की यह अनिवार्यता है कि प्रयुक्त सभी शब्द स
Rajiv Verma
*कवि बनूँ या रहूँ गवैया*
*कवि बनूँ या रहूँ गवैया*
Mukta Rashmi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
Ashwini sharma
पीठ के नीचे. . . .
पीठ के नीचे. . . .
sushil sarna
कबीर ज्ञान सार
कबीर ज्ञान सार
भूरचन्द जयपाल
ग़र वो जानना चाहतें तो बताते हम भी,
ग़र वो जानना चाहतें तो बताते हम भी,
ओसमणी साहू 'ओश'
कुछ नमी अपने
कुछ नमी अपने
Dr fauzia Naseem shad
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
ଭୋକର ଭୂଗୋଳ
Bidyadhar Mantry
दिल में बसाना नहीं चाहता
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
कभी अपनेे दर्दो-ग़म, कभी उनके दर्दो-ग़म-
कभी अपनेे दर्दो-ग़म, कभी उनके दर्दो-ग़म-
Shreedhar
गृहस्थ के राम
गृहस्थ के राम
Sanjay ' शून्य'
Loading...