Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2022 · 1 min read

हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।

हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।
_____________________________________
ढोंग को यूँ ढंग में कर सम्मिलित चलते रहोगे।
हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।

मंदिरों में नित्य जाते नेह ले बस अर्थ की।
हो सखा अनभिज्ञ तुम तो चाह है यह गर्त की।
सम्पदा की चाह ले नीहार सम गलते रहोगे।
हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।

साधना से साधने भगवान को तुम चल दिये।
मोक्ष के बदले बहुत धन मांग निज को छल दिये।
भावना ऐसी रही बस हाथ ही मलते रहोगे।
हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।

स्वर्ग का सुख त्याग कर यूँ खाक से है प्यार क्यों?
जीत के पथ से विलग यूँ ढूँढते हो हार क्यों?
ऐषणाओं की अगन से उम्रभर जलते रहोगे।
हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।

बस करो अन्त:करण से आज ईश्वर में रमो।
मुक्ति के पथ पाँव रख दो और अंगद सम जमो।
ले विलासित भावना अपकर्म में ढ़लते रहोगे।
हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 74 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'

You may also like:
दिल से मुझको सदा दीजिए।
दिल से मुझको सदा दीजिए।
सत्य कुमार प्रेमी
आँखों की दुनिया
आँखों की दुनिया
Sidhartha Mishra
मजबूर दिल की ये आरजू
मजबूर दिल की ये आरजू
VINOD KUMAR CHAUHAN
चाहे जितना तू कर निहां मुझको
चाहे जितना तू कर निहां मुझको
Anis Shah
मा भारती को नमन
मा भारती को नमन
Bodhisatva kastooriya
इन रास्तों को मंजूर था ये सफर मेरा
इन रास्तों को मंजूर था ये सफर मेरा
'अशांत' शेखर
आश किरण
आश किरण
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
"जरा सोचो"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी अगर आसान होती🍀
ज़िंदगी अगर आसान होती🍀
Skanda Joshi
संत गाडगे संदेश 5
संत गाडगे संदेश 5
Vijay kannauje
कहीं भी जाइए
कहीं भी जाइए
Ranjana Verma
“पल भर के दीदार का कोई अर्थ नहीं।
“पल भर के दीदार का कोई अर्थ नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
क्या मागे माँ तुझसे हम, बिन मांगे सब पाया है
क्या मागे माँ तुझसे हम, बिन मांगे सब पाया है
Anil chobisa
मुझको कुर्सी तक पहुंचा दे
मुझको कुर्सी तक पहुंचा दे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हरा-भरा बगीचा
हरा-भरा बगीचा
Shekhar Chandra Mitra
घर की चाहत ने, मुझको बेघर यूँ किया, की अब आवारगी से नाता मेरा कुछ ख़ास है।
घर की चाहत ने, मुझको बेघर यूँ किया, की अब आवारगी से नाता मेरा कुछ ख़ास है।
Manisha Manjari
2293.पूर्णिका
2293.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरे पापा आज तुम लोरी सुना दो
मेरे पापा आज तुम लोरी सुना दो
Satish Srijan
कुछ इनायतें ख़ुदा की, कुछ उनकी दुआएं हैं,
कुछ इनायतें ख़ुदा की, कुछ उनकी दुआएं हैं,
Nidhi Kumar
💐Prodigy Love-46💐
💐Prodigy Love-46💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गीत
गीत
Kanchan Khanna
रूठे लफ़्ज़
रूठे लफ़्ज़
Alok Saxena
उतर के आया चेहरे का नकाब उसका,
उतर के आया चेहरे का नकाब उसका,
कवि दीपक बवेजा
हमारा प्रेम
हमारा प्रेम
अंजनीत निज्जर
भूल गयी वह चिट्ठी
भूल गयी वह चिट्ठी
Buddha Prakash
*वही है धन्य जीवन शुभ, बॅंधी है जिससे मर्यादा (मुक्तक)*
*वही है धन्य जीवन शुभ, बॅंधी है जिससे मर्यादा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
घायल तुझे नींद आये न आये
घायल तुझे नींद आये न आये
Ravi Ghayal
नरभक्षी_गिद्ध
नरभक्षी_गिद्ध
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तुम याद आ गये
तुम याद आ गये
Surinder blackpen
आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...