मुझे विज्ञान से प्यार था .
इस जहां में देखा हमने हर चीज का तोड़ है,
खुशी कोई वस्तु नहीं है,जो इसे अलग से बनाई जाए। यह तो आपके कर
भूगोल के हिसाब से दुनिया गोल हो सकती है,
नायक कैसा हो? (छंदमुक्त काव्य )
रमेशराज के कहमुकरी संरचना में चार मुक्तक
तुमने छोड़ा है हमें अपने इश्क और जिस्म का नशा कराकर।
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,