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4 May 2024 · 1 min read

स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम

स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
फरेबियों से बच कर रहना , दुर्बलता का त्याग करो तुम

पंकज से तुम पावन रहना , सत्य राह निर्बाध बढ़ो तुम
कर्म राह आदर्श हो तेरा , तपस्वी सा जीवन जियो तुम

बाधाओं से मत घबराना, स्वयं पर विश्वास करो तुम
गरिमामय हो छवि तुम्हारी , रत्नाकर सा ह्रदय विशाल बनो तुम

मनभावन हो रूप तुम्हारा , खुद से ही प्यार करो तुम
अहंकार तुझको न घेरे , ऐसे सुप्रयास करो तुम

मर्यादित जीवन हो तेरा , ऐसे कुछ आदर्श वरो तुम
आकर्षक व्यक्तित्व हो तेरा , ऐसे संस्कारित बनो तुम

धर्मानुकूल आचरण हो तेरा , ऐसे सन्यासी बनो तुम
अभिनन्दन हर जगह हो तेरा , ऐसे व्यक्तित्व बनो तुम

प्रभु भक्ति में जीवन बीते , सर्वश्रेष्ठ भक्त बनो तुम
नैतिकता हो राह तुम्हारी , ऐसे उत्तम चरित्र बनो तुम

स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
फरेबियों से बच कर रहना , दुर्बलता का त्याग करो तुम ||

अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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