Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2020 · 3 min read

स्वतंत्रता दिवस का उत्साह

‘लघुकथा’

“स्वतंत्रता दिवस का उत्साह”

आज चेतन बहुत ही उत्साहित था। आखिर हो भी क्यो न कल जो स्वतंत्रता दिवस है। उसने सुबह-सुबह खुद ही अपने कपड़े धोकर सूखने के लिए बाँधे हुए तार पर डाल दिया। फिर जाकर अपने दोस्त समर के घर गया।
‘समर ओ समर’ चेतन ने आवाज लगाई,
‘ बेटा अपने पापा के साथ खेत में गया है अभी आता ही होगा’ अंदर से समर की माँ ने कहा।
‘चाची जब वो आये तो कहना कि कल स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए सुबह स्कूल चलना है तैयार रहें मैं सुबह ही आऊँगा।’
हाँ बेटा, समर भी कह रहा था कि कल हमारे स्कूल में 15 अगस्त मनाया जाएगा और हम लोगों को मिठाईंया बाटी जाएंगी। उसने मुझे कपड़े स्त्री करने के लिए कहा था मैं भूल गयी थी अच्छा हुआ तुम आकर याद दिला दिए।
ठीक है चाची मै घर जा रहा हूँ, मुझे अपने देशभक्ति गीत का अभ्यास भी करना है। यह कहकर वह चला गया।
शाम को जब चेतन के पापा काम से वापस घर आये तो उन्होंने चेतन को अपने पास बुलाया और बोले ‘ बेटा कल तो तुम्हारे स्कूल में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा ना’
हाँ पापा,
क्या तुम्हें पता है कि यह क्यो मनाया जाता है?
हाँ पापा, हमारे गुरु जी ने बताया था कि पहले हम लोग अंग्रेजों के गुलाम थे और 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ जिसमें हमारे देश के बहुत से वीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है, मैंने तो एक देशभक्ति गीत भी तैयार की स्कूल में गाने के लिए।
‘कौन सा’ पापा ने पूछा।
‘कर चले हम फ़िदा जान-ए-तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों…………………’
‘बहुत ही अच्छा बेटे’
तभी रसोई से चेतन की माँ ने आवाज लगाई, ‘खाना तैयार हो गया है हाथ मुँह धोकर आ जाओ।’
सबने स्वादिष्ट भोजन किया और सोने चले गए।

सुबह जल्दी से उठकर चेतन ने नहाया और साफ कपड़े पहनकर स्कूल जाने को तैयार हो गया। उसने पापा से पैसे मांगे तो पापा ने दस रुपये दिए, फिर जाकर उसने माँ से भी पैसा मांगा माँ ने कहा पापा ने तो दिया है अब क्या करोगें। तो उसने कहा कि वह तिरंगा झंडा खरीदेगा। तब माँ ने भी पाँच रुपये दे दिए। वह खुशी के मारे भागता हुआ समर के घर पहुँचा समर भी तैयार हो गया था फिर दोनों दोस्त स्कूल के लिए निकल पड़ा। रास्ते मे उनके कई दोस्त मिल गए सब बहुत ही उत्त्साहित थे।
स्कूल जाने के लिए बाजार से होकर जाना होता था। बाजार पहुँचकर देखा तो सब आश्चर्य चकित हो गए पूरी बाजार तिरंगे की चमक से चमचमा रही थी सभी दुकानों और घरों पर तिरंगा फहरा रहा था उसके तीन रंगों से बाजार तिरंगामय हो गया था जिससे हमारा जोश और बढ़ रहा था तिरंगें में बना चक्र हमें जल्दी स्कूल पहुँचने का संकेत दे रहा था। हम लोग एक दुकान पर गए, सभी ने एक एक झंडा लिया मैं और समर ने एक एक टोपी नुमा झंडा लिया। उसके बाद हम सभी स्कूल की तरफ चल दिये। हम सभी बच्चे स्कूल में पहुँच गए अधयापकगण उपस्थित हुए तथा प्रधानाध्यापक द्वारा झंडारोहण कार्यक्रम ततपश्चात राष्ट्रगान हुआ। फिर हम सभी को हॉल में सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बैठाया गया। अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत करने वालो को प्रोत्साहन के लिए पुरस्कृत किया गया और सभी को खाने के लिए मिष्टान्न भी मिला। उसके बाद हम सभी बच्चे “भारत माता की जय और इंकलाब जिंदाबाद” का नारा लागते हुए घर की दौड़ पड़े।

‘ आप सभी देशवासियों को सर्वोच्च पर्व स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं’
जय हिंद जय भारत जय संविधान

392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आर-पार की साँसें
आर-पार की साँसें
Dr. Sunita Singh
भोला-भाला गुड्डा
भोला-भाला गुड्डा
Kanchan Khanna
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
Shyam Pandey
कभी वक़्त ने गुमराह किया,
कभी वक़्त ने गुमराह किया,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
जाने वाले साल को सलाम ,
जाने वाले साल को सलाम ,
Dr. Man Mohan Krishna
एहसान
एहसान
Paras Nath Jha
ऐ पड़ोसी सोच
ऐ पड़ोसी सोच
Satish Srijan
उज्ज्वल भविष्य हैं
उज्ज्वल भविष्य हैं
TARAN SINGH VERMA
💐अज्ञात के प्रति-6💐
💐अज्ञात के प्रति-6💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मोतियों की सुनहरी माला
मोतियों की सुनहरी माला
DESH RAJ
हर रास्ता मंजिल की ओर नहीं जाता।
हर रास्ता मंजिल की ओर नहीं जाता।
Annu Gurjar
अन्नदाता किसान कैसे हो
अन्नदाता किसान कैसे हो
नूरफातिमा खातून नूरी
जान  जाती  है  उसके  जाने  से ।
जान जाती है उसके जाने से ।
Dr fauzia Naseem shad
* तुम न मिलती *
* तुम न मिलती *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो,
हर रिश्ते में विश्वास रहने दो,
Shubham Pandey (S P)
विडम्बना और समझना
विडम्बना और समझना
Seema gupta,Alwar
पिता हिमालय है
पिता हिमालय है
जगदीश शर्मा सहज
आत्म बोध की आत्मा महात्मा
आत्म बोध की आत्मा महात्मा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
■ आज की खोज-बीन...
■ आज की खोज-बीन...
*Author प्रणय प्रभात*
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जब उम्मीदों की स्याही कलम के साथ चलती है।
जब उम्मीदों की स्याही कलम के साथ चलती है।
Manisha Manjari
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
जिन्दगी की अहमियत।
जिन्दगी की अहमियत।
Taj Mohammad
रिश्तों का सच
रिश्तों का सच
विजय कुमार अग्रवाल
पेपर वाला
पेपर वाला
मनोज कर्ण
*उनकी है शुभकामना,मेरा बंटाधार (हास्य कुंडलिया)*
*उनकी है शुभकामना,मेरा बंटाधार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कट रही हैं दिन तेरे बिन
कट रही हैं दिन तेरे बिन
Shakil Alam
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
*कोई किसी को न तो सुख देने वाला है और न ही दुःख देने वाला है
Shashi kala vyas
लड्डू का भोग
लड्डू का भोग
Buddha Prakash
योग दिवस पर
योग दिवस पर
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...