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14 Oct 2024 · 1 min read

“स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll

“स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll
कुछ महिलाएं चकाचौंध के नाम पर अंधेरे में जा रही हैं ll

शर्मोंहया बेंचकर सबकुछ पा भी लिया तो क्या,
विकास की तरकीबें संदेश के घेरे‌ में आ रही हैं ll

कलम-किताब के बाद सारा ध्यान लिबास पर है,
पढाई लिखाई के बाद किताबें कचरे में जा रही हैं ‌ll

बुराईयां न्यायधीश बनी बैठी हैं,
अच्छाईयां कटघरे में आ रहीं हैं ll

पुरूष तो पहले से बदनाम है इस समाज में,
कुछ महिलाएं पुरूषों के पैंतरे में आ रही हैं ll”

नोट- कृपया व्यक्तिगत न लेवें l
यहाँ बात एक विशेष समूह के लिए कही जा रही है l

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