Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Mar 2024 · 3 min read

*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*

स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी
🍂🍂🍂🍂🍃🍃🍃
3 अक्टूबर 2021 रविवार को मुरादाबाद इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), कॉंठ रोड, मुरादाबाद पर शिशुपाल मधुकर जी से मेरी भेंट एक साहित्यिक कार्यक्रम में हुई थी। भारी शरीर, मुखमंडल पर गंभीरता, सटीक बात कहने का स्वभाव तथा बात से बात रखने तक सीमित वह मुझे बहुत भाए।

कार्यक्रम कवि और लेखक अशोक विश्नोई जी के अभिनंदन तथा अभिनंदन-ग्रंथ के प्रकाशन से संबंधित था। बहुत से दिग्गज इस कार्यक्रम के साथ जुड़े थे। अलग-अलग जिम्मेदारियॉं विभिन्न पदों पर आसीन रहते हुए उन सबके द्वारा निभाई जा रही थीं । लेकिन इन सबसे अलग शिशुपाल मधुकर जी मानों अनासक्त कर्मयोगी के समान अशोक विश्नोई जी के इस कार्यक्रम को अपने कार्यक्रम से भी बढ़कर मानते हुए कार्य में जुटे हुए थे।
समारोह में मेरे द्वारा भी कुंडलिया का पाठ अशोक विश्नोई जी के सम्मान में हुआ था। जितने समय मैंने काव्य-पाठ किया, शिशुपाल मधुकर जी मेरे अगल-बगल या पीछे मुस्तैदी से समूचे आयोजन पर अपनी पैनी नजर रखे हुए थे।
इसी कार्यक्रम में अशोक विश्नोई जी की एक लघु फिल्म शपथ का प्रीमियर भी हुआ। फिल्म आधे घंटे की थी। इसमें एक दृश्य में अशोक विश्नोई जी के साथ शिशुपाल मधुकर जी भी नजर आए । मैंने फिल्म के परदे पर दिखाई जा रहे इस दृश्य को मैत्री का एक दुर्लभ दृश्य मानते हुए अपने कमरे में कैद कर लिया।

शिशुपाल मधुकर जी साहित्य-साधना में अग्रणी व्यक्ति थे। 21 जनवरी 1958 को जन्मे तो बिजनौर जनपद में थे लेकिन उनकी साहित्यिक सेवाऍं मुरादाबाद के खाते में ही लिखी जाऍंगी। यहीं पर 2 मार्च 2023 को आपका निधन हुआ था। कविताओं की दो पुस्तकें आपकी प्रकाशित हुईं।
इसके अतिरिक्त वर्ष 2015 में आपने जन जागृति चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। इसके माध्यम से ऑंखों के कैंप और स्वास्थ्य से संबंधित शिविर भी लगे।

लघु फिल्म का निर्माण आपका शौक था। अशोक विश्नोई जी से भी आपकी निकटता संभवतः लेखन, अभिनय और फिल्म निर्माण के साथ समान रुचि होने के कारण प्रगाढ़ हुई। आपने कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध एक लघु फिल्म मेरा क्या कसूर था बनाई। इस फिल्म में पटकथा और गीत भी आपके ही थे।
अशोक विश्नोई जी के कार्यकारी निर्माता के तौर पर आपने एक लघु फिल्म नर्क सिने-संसार को दी। इसमें शराब के विरुद्ध जनचेतना जगाई गई। किसी मकसद के साथ फिल्म का निर्माण करना आपका मिशन था।

शिशुपाल मधुकर जी ने सारा जीवन ‘भारत संचार निगम लिमिटेड’ में नौकरी की थी। वहीं से रिटायर भी हुए । यूनियन के माध्यम से मजदूरों के हितों की लड़ाई भी लड़ी। उनके काव्य में बहुत कुछ उनका जीवन प्रतिबिंबित हुआ है।अंत में प्रस्तुत है मधुकर जी का एक गीत जिसमें एक मजदूर-बिरादरी के अभिन्न अंग के रूप में उनकी मनोभावनाऍं काव्य के रूप में प्रवाहित हो रही हैं:-

मजदूरों की व्यथा-कथा तो, कहने वाले बहुत मिलेंगे/पर उनके संघर्ष में आना,यह तो बिल्कुल अलग बात है

कितना उनका बहे पसीना,कितना खून जलाते हैं/हाड़ तोड़ मेहनत करके भी,सोचो कितना पाते हैं

मजदूरों के जुल्मों-सितम पर,चर्चा रोज बहुत होती है/उनको उनका हक दिलवाना,यह तो बिल्कुल अलग बात है

मानव हैं पर पशुवत रहते, यही सत्य उनका किस्सा है/रोज-रोज का जीना मरना,उनके जीवन का हिस्सा है

उनके इस दारुण जीवन पर,ऑंसू रोज बहाने वालों/उनको दुख में गले लगाना,यह तो बिल्कुल अलग बात है

है संघर्ष निरंतर जारी,यह है उनका कर्म महान/वे ही उनके साथ चलेंगे, जो समझें उनको इंसान/निश्चित उनको जीत मिलेगी,पाऍंगे सारेअधिकार/लेकिन यह दिन कब है आना,यह तो बिल्कुल अलग बात है

तात्पर्य यह है कि लेखन और जीवन से तादात्म्य स्थापित करते हुए शिशुपाल मधुकर जी एक लय में चलने वाले व्यक्ति थे। वह वैसे ही थे, जैसे वह दिखते थे। जैसा कहते थे, जैसा बोलते थे, जैसा लिखते थे, वही उनका जीवन था। उन्हें शत-शत प्रणाम
—————————————-
संदर्भ: साहित्यिक मुरादाबाद व्हाट्सएप समूह पर डॉक्टर मनोज रस्तोगी द्वारा प्रस्तुत सामग्री
—————————————
लेखक:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
120 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
श्री कृष्ण
श्री कृष्ण
Vandana Namdev
जग कल्याणी
जग कल्याणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शांत मन को
शांत मन को
Dr fauzia Naseem shad
किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र,
किस मोड़ पे मिलेंगे बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Labour day
Labour day
अंजनीत निज्जर
रिश्ते
रिश्ते
Shashi Mahajan
"नन्नता सुंदरता हो गई है ll
पूर्वार्थ
Acknowedged with Best Author Award 2024 by Manda Publishers
Acknowedged with Best Author Award 2024 by Manda Publishers
Shwet Kumar Sinha
मेरे कृष्ण की माय आपर
मेरे कृष्ण की माय आपर
Neeraj Mishra " नीर "
!! उमंग !!
!! उमंग !!
Akash Yadav
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
Lokesh Sharma
खडा खोड झाली म्हणून एक पान फाडल की नवकोर एक पान नाहक निखळून
खडा खोड झाली म्हणून एक पान फाडल की नवकोर एक पान नाहक निखळून
Sampada
प्रेम की साधना (एक सच्ची प्रेमकथा पर आधारित)
प्रेम की साधना (एक सच्ची प्रेमकथा पर आधारित)
गुमनाम 'बाबा'
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
shabina. Naaz
भूख सोने नहीं देती
भूख सोने नहीं देती
Shweta Soni
हे दामन में दाग जिनके
हे दामन में दाग जिनके
Swami Ganganiya
‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
चले हैं छोटे बच्चे
चले हैं छोटे बच्चे
कवि दीपक बवेजा
कृष्णा तेरी  बांसुरी , जब- जब  छेड़े  तान ।
कृष्णा तेरी बांसुरी , जब- जब छेड़े तान ।
sushil sarna
मेरे दो बेटे हैं
मेरे दो बेटे हैं
Santosh Shrivastava
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
Rituraj shivem verma
*मंजिल मिलेगी तुम अगर, अविराम चलना ठान लो 【मुक्तक】*
*मंजिल मिलेगी तुम अगर, अविराम चलना ठान लो 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
राजतंत्र क ठगबंधन!
राजतंत्र क ठगबंधन!
Bodhisatva kastooriya
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
*परवरिश की उड़ान* ( 25 of 25 )
Kshma Urmila
तुझे पाने की तलाश में...!
तुझे पाने की तलाश में...!
singh kunwar sarvendra vikram
सबूत ना बचे कुछ
सबूत ना बचे कुछ
Dr. Kishan tandon kranti
दिलाओ याद मत अब मुझको, गुजरा मेरा अतीत तुम
दिलाओ याद मत अब मुझको, गुजरा मेरा अतीत तुम
gurudeenverma198
इश्क़
इश्क़
हिमांशु Kulshrestha
Loading...