Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2019 · 1 min read

सोनचिरईया कहाँ हो तुम

कहाँ कहाँ न ढूंढा
कहीं न मिली वो
कभी आ खिड़की से
झांकती थी वो
बड़े प्यार से
बुलाती थी वो
कभी घरोंदा
बनती थी वो
कभी दाना
चुगती थी वो
कभी खुले
आसमां में
उन्मुक्त
उड़ती थी वो
बहुत तमन्नाएं
रखती थी वो
जाने कहाँ
गुम हो गयी वो
तरसता हूँ
देखने के लिए उसे
शायद मिल जाए
कहीं वो
मेरी प्यारी
सोनचिरईया

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

263 Views

Books from Santosh Shrivastava

You may also like:
मुक्त्तक
मुक्त्तक
Rajesh vyas
बदल गए
बदल गए
विनोद सिल्ला
औरन को परखन चले, खुद की चिंता भूल।
औरन को परखन चले, खुद की चिंता भूल।
श्याम सरीखे
■ व्यंग्य आलेख- काहे का प्रोटोकॉल...?
■ व्यंग्य आलेख- काहे का प्रोटोकॉल...?
*Author प्रणय प्रभात*
अब ना जीना किश्तों में।
अब ना जीना किश्तों में।
Taj Mohammad
कितनी सलाखें,
कितनी सलाखें,
Surinder blackpen
मैं तुझमें तू मुझमें
मैं तुझमें तू मुझमें
Varun Singh Gautam
शिक्षित बेटियां मजबूत समाज
शिक्षित बेटियां मजबूत समाज
श्याम सिंह बिष्ट
#एकअबोधबालक
#एकअबोधबालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरे दिल के करीब आओगे कब तुम ?
मेरे दिल के करीब आओगे कब तुम ?
Ram Krishan Rastogi
तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ
Shyam Sundar Subramanian
पहले आप
पहले आप
Shivkumar Bilagrami
मेरी दादी के नजरिये से छोरियो की जिन्दगी।।
मेरी दादी के नजरिये से छोरियो की जिन्दगी।।
Nav Lekhika
"लोग क्या कहेंगे?"
Pravesh Shinde
*अधूरा यज्ञ (नाटक)*
*अधूरा यज्ञ (नाटक)*
Ravi Prakash
बुजदिल मत बनो
बुजदिल मत बनो
Shekhar Chandra Mitra
नाथू राम जरा बतलाओ
नाथू राम जरा बतलाओ
Satish Srijan
💐💐संसारः निरन्तर: प्रवाहवान्💐💐
💐💐संसारः निरन्तर: प्रवाहवान्💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कलम
कलम
शायर देव मेहरानियां
कोई पत्ता कब खुशी से अपनी पेड़ से अलग हुआ है
कोई पत्ता कब खुशी से अपनी पेड़ से अलग हुआ...
कवि दीपक बवेजा
फुलों कि  भी क्या  नसीब है साहब,
फुलों कि भी क्या नसीब है साहब,
Radha jha
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढ़ा तुमको
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढ़ा तुमको
Ranjana Verma
" रुढ़िवादिता की सोच"
Dr Meenu Poonia
हिकायत से लिखी अब तख्तियां अच्छी नहीं लगती।
हिकायत से लिखी अब तख्तियां अच्छी नहीं लगती।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
आखिर में मर जायेंगे सब लोग अपनी अपनी मौत,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
-
- "इतिहास ख़ुद रचना होगा"-
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
विरासत
विरासत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बेटियां
बेटियां
Shriyansh Gupta
Agar padhne wala kabil ho ,
Agar padhne wala kabil ho ,
Sakshi Tripathi
मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
Arvind trivedi
Loading...