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30 Aug 2022 · 1 min read

सोच

तकदीर में जैसा चाहा वैसा बन गए हम,
बहुत संभल कर चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने भरोसा तोड़ा,
तो किसी ने दिल,
और लोग को लगता है,
बहुत बदल गए हैं हम
कौशिकी गुप्ता

Language: Hindi
Tag: 🤐
7 Likes · 8 Comments · 130 Views
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