सोच

तकदीर में जैसा चाहा वैसा बन गए हम,
बहुत संभल कर चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने भरोसा तोड़ा,
तो किसी ने दिल,
और लोग को लगता है,
बहुत बदल गए हैं हम
कौशिकी गुप्ता
तकदीर में जैसा चाहा वैसा बन गए हम,
बहुत संभल कर चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने भरोसा तोड़ा,
तो किसी ने दिल,
और लोग को लगता है,
बहुत बदल गए हैं हम
कौशिकी गुप्ता