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17 Dec 2022 · 1 min read

सोच मे जब तर्क नहीं है

मन में रक्खें बैर की भावना ।
दुष्ट है वो, संत नहीं है ।।

सीमित रखिये विषय-वासना ।
इच्छाओं का अंत नहीं है ।।

व्यर्थ है फिर ज्ञान तुम्हारा ।
सोच में जब तर्क नहीं है।।

रिक्त है जो मानवता से ।
ईश्वर का वो भक्त नहीं है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
10 Likes · 63 Views
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