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28 Apr 2020 · 1 min read

सोचा न था……

सोचा न था,
ऐसा होगा।

साथ होकर भी न होगा
सोचा न था
ऐसा होगा।

इतिहास थी जो सुनी – सुनायी,
वही आज बन गयी परछायी।

ऐसा वक़्त आएगा,
दुनियां में शोर मच जाएगा।

क्यों आया ये वक़्त,
इससे भी हो सकता कुछ शख़्त।

डंटकर लड़ना होगा,
आशियानों में ही रहना होगा।

पहले तो दुनियाँ रंगीन थी,
अब क्यों ग़मगीन हो गयी।

अंधकार कैसा छाया है,
सब कुछ साया – साया है।

एक की ग़लती भुगते दुनियाँ सारी,
यह तो बड़ी ग़ैर जिम्मेदारी।

साँसें गिन रहें लोग,
उनका न कोई दोष।

ऐसे कैसे होगा जीना,
जब कोई ग़लती ही किया ना।

हँसी ख़ुशी सब मौन हो गयी,
जाने कँहा गौण हो गयी।

कैसे करें सामना इसका,
जब कोई रहा ना किसका।

हे ईश्वर!
आप ही रस्ता दिखलाओ,
हमको सही राह बतलाओ।

सोनी सिंह
बोकारो(झारखंड)

Language: Hindi
Tag: कविता
4 Likes · 346 Views
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