सेतुबंध रामेश्वर

लंका दहन सिय खबर,आन दिए हनुमान।
सागर पार राम दल,कैंसे जाए महान।।
प़भु तुम्हार कुलगुरु जलधि,विनय सहित पथ मांगु
सकल भालु कपि सेन तब,निकसहिं विनहिं प़यास
लगी समाधि राम पथ मांगा, नहीं विनय से सागर जागा।
रघुबर बाण संधान जब कीन्हा, तुरत जलधि शरण प़भु लीन्हा।
नाथ नील नल कपि दौ भाई, लरिकाई रिषि आशिष पाई।
तिनके परस किए गिर भारी,तरहहिं सब कृपा तुम्हारी।
एहि विधि नाथ पयोधि बंधाबहु,तिहुं लोक सुयश प्रभु पाबहु।
एहि विधि राम सेतु तब बांधा, शंकर पूज हरी सब बाधा।
सकल सेन एहि पारहिं आई,जय जय जय रघुबीर दुहाई।