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2 Apr 2023 · 1 min read

सूर्य के ताप सी नित जले जिंदगी ।

सूर्य के ताप सी नित जले जिंदगी ।
मध्य सुख-दुख के हर दिन पले जिंदगी ।
आह है, मौन है, शोर है, भीड़ है –
जाने कितने रँगों में ढले जिंदगी ।।

✍️ अरविन्द त्रिवेदी
उन्नाव उ० प्र०

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