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16 Mar 2022 · 2 min read

सूर्योदय एवं सूर्यास्त

📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कितनी आश्चर्यजनक एवं दुखद बात है की जो माँ बाप बच्चों की खातिर क्या कुछ नहीं सहते -क्या कुछ अपनी जरूरतें -खुशियां उनकी जरूरतों के लिए कुर्बान नहीं करते ,उनकी मृत्यु के पश्चात या किसी भी इंसान की मृत्यु के पश्चात सर्वप्रथम तो वो रिश्ता एक बॉडी बन के रह जाता है जिसे जल्दी से जल्दी हम घर से बाहर करना चाहते हैं ,अंतिम संस्कार प्रक्रिया में भी अक्सर हम इतनी जल्दी में होते हैं की शरीर को पूरी तरह राख में भी तब्दील होने का इंतजार नहीं करते और उस प्यारे रिश्ते को तनहा छोड़ कर तुरंत वापिस आ जाते हैं …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की कितने संगदिल -स्वार्थी हो गए हैं हम की तीये की बैठक में भी कम से कम समय बैठ कर अपनी उपस्तिथि दर्ज कराना चाहते हैं ,सच्चे मन से मृतक आत्मा की शांति हेतु -उनके परिजनों को सम्बल प्रदान करने हेतु दिल से सच्ची प्रार्थना तक नहीं की जाती और फूल चढ़ा कर श्रद्धांजलि वो तो एक औपचारिकता मात्र बन कर रह गई है ..यहाँ भी हम मोबाइल साइलेंट करके गर्दन झुका कर कुछ देखते रहते हैं या मैसेज करते रहते हैं …कहाँ गई इंसानियत और कहाँ गए इंसान …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिनके पीछे पीछे आप ताउम्र भागते रहते हैं -जिनकी एक ख़ुशी के लिए आप क्या कुछ नहीं कर जाते हैं कुछ दिन जरा उनसे ओझल होकर देखिये -दूर रह कर देखिये ,बात होना तो बहुत दूर -आपको याद भी नहीं करेंगें …,

आखिर में एक ही बात समझ आई की एक आम इंसान के लिए एक समय के बाद बढ़ती उम्र के साथ -आने वाले कल की चिंता -जिम्मेदारियों का बोझ …बस इन्हीं सब के गुणा भाग में जिंदगी का सूर्योदय एवं सूर्यास्त हो जाता है ….!

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
🙏सुप्रभात 🌹
स्वरचित एवं स्वमौलिक
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
🔱जयपुर -राजस्थान 🔱

Language: Hindi
Tag: लेख
412 Views
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