Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2023 · 1 min read

सूरज दादा

मेरी भी कुछ दिन ड्यूटी कड़ी है।
कल के भविष्य के लिये अड़ी है।।
गाली सुन कर फिर भी तप रहा,
जब ही तो आये सावन की झड़ी है।। मेरी भी—
क्या करूँ कड़क दोपहर फिरूँ ।
तीखे लू के थपेड़ों को कैसे हरुँ ।।
तुम पेड़ों से माँगों कुछ दिन छाया,
मेरी ड्यूटी उनके लिये ही खड़ी है।। मेरी भी—-
मुझे अच्छा नहीं लगता यूँ सताना।
मेरे ही तो पोते पोती है, यूँ इतराना ।।
सख्त दिल भी कभी करना पड़ता,
सोचो तपने से ही वो कुंदन जड़ी है।। मेरी भी—
सूख रहे निर्झर, मिलता उलाहना।
कैसा दादा, इसे बस आग उगलना।।
तप रहा हूँ मैं, सिर्फ फर्ज निभा रहा,
तरु जो तुमने काटे उनकी तड़ी है।। मेरी भी—
दादा को ही कहते हो कुछ राहत भरो।
जल थल नभ, तुम क्यों आहत करो।।
मुझे तपकर ही तो, बादल को है भरना।
बात नहीं तपना, गलतियां वो बड़ी है।। मेरी भी —
(वृक्ष बचाओ, वृक्ष लगाओ )
(रचनाकार- डॉ शिव ‘लहरी’)

Language: Hindi
1 Like · 546 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. शिव लहरी
View all

You may also like these posts

समस्याएं भी निराश होती हैं
समस्याएं भी निराश होती हैं
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
#महल का कंगुरा
#महल का कंगुरा
Radheshyam Khatik
इक रोज़ मैं सोया था,
इक रोज़ मैं सोया था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
ruby kumari
कुछ कदम मैं चलूँ, कुछ दूरियां तुम मिटा देना,
कुछ कदम मैं चलूँ, कुछ दूरियां तुम मिटा देना,
Manisha Manjari
लाया था क्या साथ जो, ले जाऊँगा संग
लाया था क्या साथ जो, ले जाऊँगा संग
RAMESH SHARMA
2985.*पूर्णिका*
2985.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कर क्षमा सब भूल मैं छूता चरण
कर क्षमा सब भूल मैं छूता चरण
Basant Bhagawan Roy
*जीता-हारा चल रहा, होते रोज चुनाव (कुंडलिया)*
*जीता-हारा चल रहा, होते रोज चुनाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
मुफलिसो और बेकशों की शान में मेरा ईमान बोलेगा।
Phool gufran
मचलने लगता है सावन
मचलने लगता है सावन
Dr Archana Gupta
सपनों की सच्चाई
सपनों की सच्चाई
श्रीहर्ष आचार्य
मैं दीपक बनकर जलता हूं
मैं दीपक बनकर जलता हूं
Manoj Shrivastava
जब बेटा पिता पे सवाल उठाता हैं
जब बेटा पिता पे सवाल उठाता हैं
Nitu Sah
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
खुशियों से भी चेहरे नम होते है।
Taj Mohammad
न कोई जगत से कलाकार जाता
न कोई जगत से कलाकार जाता
आकाश महेशपुरी
एक तेरा दिल
एक तेरा दिल
Lekh Raj Chauhan
🙅अजब-ग़ज़ब🙅
🙅अजब-ग़ज़ब🙅
*प्रणय*
विषय-हारी मैं जीवन से।
विषय-हारी मैं जीवन से।
Priya princess panwar
याद हम बनके
याद हम बनके
Dr fauzia Naseem shad
जीवन में चलते तो सभी हैं, मगर कोई मंजिल तक तो कोई शिखर तक ।।
जीवन में चलते तो सभी हैं, मगर कोई मंजिल तक तो कोई शिखर तक ।।
Lokesh Sharma
वैज्ञानिकता कहीं खो गई
वैज्ञानिकता कहीं खो गई
Anil Kumar Mishra
अल्फाज (कविता)
अल्फाज (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
अब तो रिहा कर दो अपने ख्यालों
शेखर सिंह
नेता सोये चैन से,
नेता सोये चैन से,
sushil sarna
वक्त ये बदलेगा फिर से प्यारा होगा भारत ,
वक्त ये बदलेगा फिर से प्यारा होगा भारत ,
Neelofar Khan
यादों को जब से
यादों को जब से
Mahesh Tiwari 'Ayan'
वीर अभिमन्यु– कविता।
वीर अभिमन्यु– कविता।
Abhishek Soni
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
आम पर बौरें लगते ही उसकी महक से खींची चली आकर कोयले मीठे स्व
Rj Anand Prajapati
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...