Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jul 2016 · 1 min read

सूना-सूना है अब गाँव

कोयल हो गई गुम
कौआ नहीं करता काँव
आँगन में उदासी छाई
सूना-सूना है अब गाँव

सूख गई है नदी
टूटी पड़ी है नाव
पनघट भी वीरान है
नहीं कुदरत की ताव

न शाम मस्तानी है
उजड़ गया अमवा गाँव
राहगीर ढूंढ़ते फिरते है
बरगद-पीपल की छाँव

न बरगद की झूला
न नीम की छाँव
रंग बसंत की यहाँ
नहीं पड़ता अब पड़ाव

बगीचे में गुलजार नहीं
न पंछियो की शोर गुल
काली घटा सावन बरखा
गाँव की राह गई भूल

Language: Hindi
523 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ममता का सागर
ममता का सागर
भरत कुमार सोलंकी
दुआओं में जिनको मांगा था।
दुआओं में जिनको मांगा था।
Taj Mohammad
23/81.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/81.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* सड़ जी नेता हुए *
* सड़ जी नेता हुए *
Mukta Rashmi
_______ सुविचार ________
_______ सुविचार ________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
उत्तर
उत्तर
Dr.Priya Soni Khare
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*प्रणय प्रभात*
विकट जंग के मुहाने पर आज बैठी है ये दुनिया
विकट जंग के मुहाने पर आज बैठी है ये दुनिया
इंजी. संजय श्रीवास्तव
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
काल के काल से - रक्षक हों महाकाल
Atul "Krishn"
मोहब्बत और मयकशी में
मोहब्बत और मयकशी में
शेखर सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
Ashwini sharma
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
पत्नी की खोज
पत्नी की खोज
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
इक रोज़ मैं सोया था,
इक रोज़ मैं सोया था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
नए साल के ज़श्न को हुए सभी तैयार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पृथ्वी दिवस पर
पृथ्वी दिवस पर
Mohan Pandey
"अविस्मरणीय"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी कविताएं पढ़ लेना
मेरी कविताएं पढ़ लेना
Satish Srijan
" कृषक की व्यथा "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गजब है सादगी उनकी
गजब है सादगी उनकी
sushil sarna
खुद से खुद को
खुद से खुद को
Dr fauzia Naseem shad
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
संजय कुमार संजू
चलने का नाम ज़िंदगी है
चलने का नाम ज़िंदगी है
Sonam Puneet Dubey
रात……!
रात……!
Sangeeta Beniwal
*कंचन काया की कब दावत होगी*
*कंचन काया की कब दावत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
आ मिल कर साथ चलते हैं....!
VEDANTA PATEL
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
फुर्सत के सिवा कुछ नहीं था नौकरी में उस। रुसवाईयां चारों तरफ
Sanjay ' शून्य'
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्
Ravikesh Jha
Loading...