Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2023 · 1 min read

*सुविचरण*

डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

सुविचरण
गुलगप्पा मुख राखिए
पानी भरा जो होय ।
बूंदी आलू से भी भरा
तन मन को सुख देय ।।
तेरा मेरा क्या करे
सब है सब के पास
उत्तम मानव हैं वही
जिनु जग कल्याणक खास
रे भैया जग कल्याणक खास
मानस मनन करते रहो
मन पे अंकुश राख
मन जो विचलित हो कभी
धीर धारियों आप
धीरज धर्म का मूल है
अरु धर्म, ज्ञान सम तंत्र
जो-जो इस पथ पे चलें
उन सबे मानिए मंत्र
तृष्णा तीरथ ज्ञान की
जस हिय में अग्नि राम की
राम नाम नॉव से
भव सागर की यात्रा
होती बड़ी आराम की
मानस मनन करते रहो
मन पे अंकुश राख
मन जो विचलित हो कभी
धीर धारियों आप

Language: Hindi
135 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
*व्यंग्य*
*व्यंग्य*
Ravi Prakash
चाय-दोस्ती - कविता
चाय-दोस्ती - कविता
Kanchan Khanna
कविता
कविता
Sushila Joshi
राम वनवास
राम वनवास
Dhirendra Panchal
//एक सवाल//
//एक सवाल//
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
इन्तिजार तुम करना।
इन्तिजार तुम करना।
Taj Mohammad
तुकबन्दी,
तुकबन्दी,
Satish Srijan
तूँ मुझमें समाया है
तूँ मुझमें समाया है
VINOD KUMAR CHAUHAN
लिपटी परछाइयां
लिपटी परछाइयां
Surinder blackpen
आज की शाम।
आज की शाम।
Dr. Jitendra Kumar
असली पंडित नकली पंडित / MUSAFIR BAITHA
असली पंडित नकली पंडित / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
(22) एक आंसू , एक हँसी !
(22) एक आंसू , एक हँसी !
Kishore Nigam
"तुम हक़ीक़त हो ख़्वाब हो या लिखी हुई कोई ख़ुबसूरत नज़्म"
Lohit Tamta
समुद्री जहाज
समुद्री जहाज
Buddha Prakash
💐प्रेम कौतुक-529💐
💐प्रेम कौतुक-529💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
किसी की किस्मत संवार के देखो
किसी की किस्मत संवार के देखो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
💃युवती💃
💃युवती💃
सुरेश अजगल्ले"इंद्र"
दे सहयोग पुरजोर
दे सहयोग पुरजोर
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
पुराने पन्नों पे, क़लम से
पुराने पन्नों पे, क़लम से
The_dk_poetry
वैलेंटाइन डे युवाओं का एक दिवालियापन
वैलेंटाइन डे युवाओं का एक दिवालियापन
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
वक़्त ने किया है अनगिनत सवाल तपते...
वक़्त ने किया है अनगिनत सवाल तपते...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ये मेरा हिंदुस्तान
ये मेरा हिंदुस्तान
Mamta Rani
ज़िंदा होने का सबूत दो
ज़िंदा होने का सबूत दो
Shekhar Chandra Mitra
वफादारी
वफादारी
shabina. Naaz
चुनाव
चुनाव
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम्हारा साथ
तुम्हारा साथ
Ram Krishan Rastogi
चली गई ‌अब ऋतु बसंती, लगी ग़ीष्म अब तपने
चली गई ‌अब ऋतु बसंती, लगी ग़ीष्म अब तपने
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ह्रदय की व्यथा
ह्रदय की व्यथा
Nitesh Kumar Srivastava
हम अक्षम हो सकते हैं
हम अक्षम हो सकते हैं
*Author प्रणय प्रभात*
चंचल पंक्तियाँ
चंचल पंक्तियाँ
Saransh Singh 'Priyam'
Loading...