*सुबह से शाम तक कागज-कलम से काम करते हैं (हिंदी गजल/ गीतिका)*

*सुबह से शाम तक कागज-कलम से काम करते हैं (हिंदी गजल/ गीतिका)*
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1
सुबह से शाम तक कागज-कलम से काम करते हैं
बड़ी मुश्किल से शिक्षित लोग अपना पेट भरते हैं
2
जो अनपढ़ सेठ हैं कब आदमी को कुछ समझते हैं
कलम पकड़े हुए सब कर्मचारी उनसे डरते हैं
3
कभी आंदोलनों में नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ा
भोले कार्यकर्ता ही हैं जो गोली से मरते हैं
4
बहुत सुंदर हैं यों तो पुष्प डाली पर लगे लेकिन
दिवस जब चार बीते तो ये मिट्टी में बिखरते हैं
5
हमारे देश भारत को सॅंवारा देवताओं ने
यहॉं अवतार लेने के लिए प्रभु खुद उतरते हैं
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*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451