Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Oct 2016 · 1 min read

सुबह को आता है जगा देना

हर सुबह को आता है नींद से जगा देना
सत्य को भी आता इंसान को सजा देना

जिन्दगी की बगियाँ को फूल से खिला देना
बीज चाह के बो सरगम नया सजा देना

प्रेमिका पुरानी तेरी रही युगों से मैं
तुम न अब किसी से फिर आँख को लड़ा देना

पास आ कभी हमसे दूर मत चले जाना साँस से बँधी हूँ जीवन दे मुझे जिला देना

हाथ जब पिता ने तुझको दिया हमेशा को
प्यार से मुझे रख कोई न फिर गिला देना

हो गया न जाने क्यों प्रेम रोग मुझको अब
आज फिर मुझे कोई रोग की दवा देना

झाड फूँक सब मैं करवा चुकी हूँ अब
फिर असर न करती कोई दवा दुआ देना

70 Likes · 469 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
"अन्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
गाँव सहर मे कोन तीत कोन मीठ! / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
सोनू की चतुराई
सोनू की चतुराई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
✍️कभी जुबाँ आ जाये तो...!✍️
✍️कभी जुबाँ आ जाये तो...!✍️
'अशांत' शेखर
हम देखते ही रह गये
हम देखते ही रह गये
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
भगतसिंह
भगतसिंह
Shekhar Chandra Mitra
हम सजदे में कंकरों की ख़्वाहिश रखते हैं, और जिंदगी सितारे हमारे नाम लिख कर जाती है।
हम सजदे में कंकरों की ख़्वाहिश रखते हैं, और जिंदगी सितारे हमारे नाम लिख कर जाती है।
Manisha Manjari
जंगल की सैर
जंगल की सैर
जगदीश लववंशी
जिसप्रकार
जिसप्रकार
Dr.Rashmi Mishra
वक्त
वक्त
लक्ष्मी सिंह
हक़ीक़त ने
हक़ीक़त ने
Dr fauzia Naseem shad
*योग-ज्ञान भारत की पूॅंजी (गीत)*
*योग-ज्ञान भारत की पूॅंजी (गीत)*
Ravi Prakash
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम्हारी आंखों का रंग हमे भाता है
तुम्हारी आंखों का रंग हमे भाता है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
जय शिव शंकर ।
जय शिव शंकर ।
Anil Mishra Prahari
जल संरक्षण
जल संरक्षण
Preeti Karn
“ एक अमर्यादित शब्द के बोलने से महानायक खलनायक बन जाते हैं ”
“ एक अमर्यादित शब्द के बोलने से महानायक खलनायक बन जाते हैं ”
DrLakshman Jha Parimal
फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
साहित्य गौरव
कस्तूरी इत्र
कस्तूरी इत्र
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
2723.*पूर्णिका*
2723.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
मौत
मौत
नन्दलाल सुथार "राही"
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
Anand Kumar
रचनात्मकता ; भविष्य की जरुरत
रचनात्मकता ; भविष्य की जरुरत
कवि अनिल कुमार पँचोली
"काश हम"
Ankita
दोयम दर्जे के लोग
दोयम दर्जे के लोग
Sanjay ' शून्य'
कीच कीच
कीच कीच
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जस गीत
जस गीत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
#क़तआ
#क़तआ
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...