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6 Jun 2023 · 1 min read

सुनो मोहतरमा..!!

कभी खुद भी तुम मेरे पास भी आओ
मेरी बात को सुनो और मेरा साथ भी दो

जो खलिश है दिल से निकाल कर
मुझे मेरी उलझनों से आजाद कर दो

तुम्हे सोचना मेरा मशगुला होगा
तुम्हे देखना मेरी आरज़ू. होगा

मुझे दिन दो अपने ख्याल का
मुझे अपने तारिक की रात दो

मैं अकेला भटकू कहां कहां
ये सफ़र बहुत तकलीफो से भरा है

मेरी ज़िंदगी मेरे साथ चलो
मेरे हाथ में अपना हाथ दो

शिवकुमार बर्मन

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