कवि

कवि
कवि-शिक्षा आश्रम-सुपथ औ सामाजिक ज्ञान
का अनुभव धारण किया,गलने लगा गुमान ।।
गलने लगा गुमान आत्म-सत् हुआ सवाया।
गहन ध्यान-आलोक ईश ने आ बर्षाया ।।
‘नायक’ सुनो सुजान बन गई आध्यात्मिक छवि।
दिव्य बोध-आलोक राष्ट्र को देता है कवि।।
पं बृजेश कुमार नायक