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24 Feb 2023 · 1 min read

कवि

कवि

कवि-शिक्षा आश्रम-सुपथ औ सामाजिक ज्ञान
का अनुभव धारण किया,गलने लगा गुमान ।।
गलने लगा गुमान आत्म-सत् हुआ सवाया।
गहन ध्यान-आलोक ईश ने आ बर्षाया ।।
‘नायक’ सुनो सुजान बन गई आध्यात्मिक छवि।
दिव्य बोध-आलोक राष्ट्र को देता है कवि।।

पं बृजेश कुमार नायक

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