Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2023 · 1 min read

सीने में मेरे आग, बगल में शराब है

सीने में मेरे आग, बगल में शराब है
आँखों में फिर भी दुनिया बदलने का ख़्वाब है

अच्छा हुआ कि तुम भी ज़माने से जा मिले
कहने ही वाला था मैं ज़माना ख़राब है
~Aadarsh Dubey

Language: Hindi
1 Like · 22 Views
You may also like:
हे कलम
हे कलम
Kavita Chouhan
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
चर्चित हुए हम
चर्चित हुए हम
Dr. Sunita Singh
नर्क स्वर्ग
नर्क स्वर्ग
Bodhisatva kastooriya
फेमस होने के खातिर ही ,
फेमस होने के खातिर ही ,
Rajesh vyas
आहत न हो कोई
आहत न हो कोई
Dr fauzia Naseem shad
⚘️🌾Movement my botany⚘️🌾
⚘️🌾Movement my botany⚘️🌾
Ms.Ankit Halke jha
हवाएँ
हवाएँ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सब स्वीकार है
सब स्वीकार है
Saraswati Bajpai
mujhe needno se jagaya tha tumne
mujhe needno se jagaya tha tumne
Anand.sharma
फूली सरसों…
फूली सरसों…
Rekha Drolia
तुझसे बिछड़ने के बाद
तुझसे बिछड़ने के बाद
Surinder blackpen
आखिरी सफ़र
आखिरी सफ़र
Dr. Rajiv
धंधा चोखा जानिए, राजनीति का काम( कुंडलिया)
धंधा चोखा जानिए, राजनीति का काम( कुंडलिया)
Ravi Prakash
💐अज्ञात के प्रति-147💐
💐अज्ञात के प्रति-147💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ यादों का झरोखा...
■ यादों का झरोखा...
*Author प्रणय प्रभात*
मत पूछना तुम इसकी वजह
मत पूछना तुम इसकी वजह
gurudeenverma198
बैठ अटारी ताकता, दूरी नभ की फाँद।
बैठ अटारी ताकता, दूरी नभ की फाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
रिश्ता रस्म
रिश्ता रस्म
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बस चलता गया मैं
बस चलता गया मैं
Satish Srijan
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
कहती है हमें अपनी कविताओं में तो उतार कर देख लो मेरा रूप यौव
DrLakshman Jha Parimal
बंद आंखें कर ये तेरा देखना।
बंद आंखें कर ये तेरा देखना।
सत्य कुमार प्रेमी
किसा गौतमी बुद्ध अर्हन्त्
किसा गौतमी बुद्ध अर्हन्त्
Buddha Prakash
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
Seema gupta,Alwar
चांद निकला है तुम्हे देखने के लिए
चांद निकला है तुम्हे देखने के लिए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
बटाए दर्द साथी का वो सच्चा मित्र होता है
बटाए दर्द साथी का वो सच्चा मित्र होता है
नन्दलाल सिंह 'कांतिपति'
कर ले कुछ बात
कर ले कुछ बात
जगदीश लववंशी
जीवन में सफल होने
जीवन में सफल होने
Rashmi Mishra
धुँधलाती इक साँझ को, उड़ा परिन्दा ,हाय !
धुँधलाती इक साँझ को, उड़ा परिन्दा ,हाय !
Pakhi Jain
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
रात के अंधेरे में नसीब आजमाना ठीक नहीं है
कवि दीपक बवेजा
Loading...