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17 May 2023 · 1 min read

*सीता (कुंडलिया)*

सीता (कुंडलिया)

सीता पति-अनुगामिनी, चलीं राम के संग
तारतम्य दांपत्य को, किंचित किया न भंग
किंचित किया न भंग, हर्ष या मिली उदासी
महलों के सुख त्याग, रहीं हॅंसकर वनवासी
कहते रवि कविराय, हृदय यों पति का जीता
गए छुड़ाने राम, सेतु से लंका सीता

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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