Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2016 · 1 min read

सारा ही जग तप रहा

सारा ही जग तप रहा , खिली हुई यूँ धूप
अमलतास का पर हुआ , सोने जैसा रूप
सोने जैसा रूप, दहकता भी गुलमोहर
धरती का श्रृंगार , कर रहे मिलकर सुन्दर
मगर अर्चना आज आदमी गम का मारा
मौसम की खा मार , बिगड़ता जीवन सारा

डॉ अर्चना गुप्ता

321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
2829. *पूर्णिका*
2829. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सफ़र जिंदगी के.....!
सफ़र जिंदगी के.....!
VEDANTA PATEL
बम बम भोले
बम बम भोले
gurudeenverma198
" प्रिये की प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
*वो खफ़ा  हम  से इस कदर*
*वो खफ़ा हम से इस कदर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
फलक  पे   देखो  रौशनी  है
फलक पे देखो रौशनी है
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
राहें
राहें
Shashi Mahajan
"I'm someone who wouldn't mind spending all day alone.
पूर्वार्थ
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
मां
मां
Sonam Puneet Dubey
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
Rj Anand Prajapati
Moral of all story.
Moral of all story.
Sampada
भोला-भाला गुड्डा
भोला-भाला गुड्डा
Kanchan Khanna
बाजारवाद
बाजारवाद
Punam Pande
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
Kumar Akhilesh
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आजकल का प्राणी कितना विचित्र है,
आजकल का प्राणी कितना विचित्र है,
Divya kumari
अब नये साल में
अब नये साल में
डॉ. शिव लहरी
बड़े हुए सब चल दिये,
बड़े हुए सब चल दिये,
sushil sarna
आज की सौगात जो बख्शी प्रभु ने है तुझे
आज की सौगात जो बख्शी प्रभु ने है तुझे
Saraswati Bajpai
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
खेल खेल में छूट न जाए जीवन की ये रेल।
सत्य कुमार प्रेमी
जिंदगी का नशा
जिंदगी का नशा
Chitra Bisht
मुझे नहीं नभ छूने का अभिलाष।
मुझे नहीं नभ छूने का अभिलाष।
Anil Mishra Prahari
वक्त का तकाजा हैं की,
वक्त का तकाजा हैं की,
Manisha Wandhare
*पूर्वाग्रह से प्रेरित जज थे, बहसों में गड़बड़झाला था (राधेश
*पूर्वाग्रह से प्रेरित जज थे, बहसों में गड़बड़झाला था (राधेश
Ravi Prakash
किस्सा
किस्सा
Dr. Mahesh Kumawat
"दो मीठे बोल"
Dr. Kishan tandon kranti
#लघुकथा-
#लघुकथा-
*प्रणय प्रभात*
Loading...