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10 Sep 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
10/09/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

जमघट।
होने लगी अब,
आने लगे मरघट।।
सब अपने में मशगूल।
पीड़ित की ही आँखें नम है,
खिचड़ी पका रहे सब अपनी चूल।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

बादशाह।
है लापरवाह।।
प्यादे वजीर नशेड़ी।
बैठे हिलाते गजब एड़ी।।
सारा महकमा सोया पड़ा यहाँ।
लालचियों की भीड़ है जायें जहाँ।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम- प्रथम तुकांत
*

नकलची।
हो गये हैं सारे।
अभ्यर्थी को कौन पूछे,
रिश्वतखोर ही हैं दुलारे।।
आधुनिकता का लोहा गर्म सदा,
अपना सर पीट रहे हैं तबलची।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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