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10 Oct 2024 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी—*

साम्ब षट्पदी—
10/10/2024

(1)- प्रथम-तृतीय तथा चतुर्थ-षष्ठम तुकांत

ये संसार।
रूकता नहीं है,
और होता है विस्तार।।
रोना तो क्षणिक दिखावा है।
लोग क्या कहेंगे सोचना होता है,
बहुत कुछ शेष इसके अलावा है।।

(2)- प्रथम-द्वितीय, तृतीय-चतुर्थ, पंचम-षष्ठम तुकांत

ये संस्कृति।
हो गई विस्मृति।।
हुए आदर्श खोखले।
निभा रहे केवल चोचले।।
रीतियों ने बदले हैं परिधान।
इतिहास बदल रहा आज इंसान।।

(3)- द्वितीय-चतुर्थ तथा षष्ठम, प्रथम तुकांत

ये संसद।
हो अनुशासित।
वाकयुद्ध भूमि बनी,
मुश्किल विधेयक पारित।।
सिर्फ कमियों को गिनाये जाते है,
होड़ लगी हम ही कलियुगी अंगद।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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