साथ आया हो जो एक फरिश्ता बनकर
साथ आया हो जो एक फरिश्ता बनकर ,
तो तुम्हें साथ चलना अच्छा लगेगा ।।१
लाखों डूबाने पर आमादा समुंदर में ,
अब किनारा ही तुम को सच्चा लगेगा।।२
मुफलिसी में विताई है तमाम उम्र जिसने ,
उसके जख्म कुरेदना क्या अच्छा लगेगा ।।३
तमाम अनुभवों में गुजारी हो जिंदगी जिसने
उसके कदम नापना तो अब कच्चा लगेगा ।।४
जो शख्स अब शोहरत के लिबास में खड़ा है
उसकी कमियां बताता सरल तू बच्चा लगेगा।।
कवि दीपक बवेजा सरल