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7 Oct 2016 · 1 min read

साजिशें लाख कर लो(ग़जल)/मंदीप

साजिशे लाख कर लो हम को दिल से निकाल नही पाओगें,
छोड़ कर दामन मेरा गैर का थाम ना पाओगे।

मिलेगी जहाँ भी तुम को रुस्वाई ,
लौट कर तुम मेरे पास ही आओगे।

होगा जब भी दौर आँसुओ का,
तुम को हम ही गले से लगायेगे।

होगा नही जिस दिन मै यहाँ,
मेरी यादो के साथ तुम अपने मन को बहलाओगे।

था “मंदीप” को प्यार कितना तुम से,
एक दिन तुम इस जहान को बताओगे।

मंदीपसाई

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