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19 Mar 2023 · 1 min read

सागर

हो कर सजग मौन, भीतर के दानव का आज सामना करना होगा।
कुछ ही बची है बाकी, और अब जीना है, तो एक बार तो मरना होगा।

मरना होगा उसे, जिसे मैं “मैं” समझता हूँ,
“मैं” कहीं है भी या परशाई मात्र है?
जानना है तो…
बिना कश्ती, बिना माजी, बिना पतवार
आज सागर में उतरना होगा।

हो कर सजग मौन, भीतर के दानव का आज सामना करना होगा।

डॉ राजीव

Language: Hindi
Tag: कविता
23 Views
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