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30 Aug 2024 · 1 min read

सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,

सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
उसने लहरे अपनी विनाश की और है मोड़ी ।।
भाषा की भी अपनी सुचिता और गहराई हैं ।।
इसकी भी जब हद टूटी, यह अपयश की और लहराई हैं ।

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