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23 May 2024 · 1 min read

सहज रिश्ता

पत्थर शांत पानी को अक्सर छेड़ देता है
गुलज़ार चमन की ख़ुशी को भेद देता है

होता है क्या फिर तो पत्थर डूब जाता है
क्या खोजें उसे जो ख़ुद से डूब जाता है

सहजता सरलता है मिज़ाज पानी का
नाराज़ ज़रा होता फिर बुराई भूल जाता है

कई उत्पाति बच्चे ये पत्थर फेंकते होंगे
रश्मियाँ बूँदों की सजती, ग़म छूट जाता है

नहीं सूरज को इन धूल कणों की परवाह
उजाला कम नहीं होता दिन फूल जाता है

काँटो की चिंता में फूल मुरझा नहीं जाता
मुस्कराता है और डाली पर झूल जाता है

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