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9 Aug 2019 · 1 min read

सरस्वती वंदना

कर रही हूँ वंदना दिल से करो स्वीकार माँ
लाई हूँ मैं भावनाओं के सुगंधित हार माँ

माँ हरो अज्ञान सब, सद्बुद्धि का वरदान दो
तुम मुझे अपने चरण कमलों में ही अब स्थान दो
पा सकूँ मैं हर कदम पर बस तुम्हारा प्यार माँ
कर रही हूँ वंदना दिल से करो स्वीकार माँ

ओज हो आवाज में मुझको सुरों का ज्ञान दो
गा सकूँ गुणगान मन से भाव में भर प्रान दो
हैं सभी मन के समर्पित अब तुम्हें उद्गार माँ*
कर रही हूँ वंदना दिल से करो स्वीकार माँ

हो कलम की धार में ईमानदारी कम नहीं
लोभ या डर के कभी साये में निकले दम नहीं
सत्य पथ पर चल सकूँ ऐसा करो उपकार माँ
कर रही हूँ वन्दना दिल से करो स्वीकार माँ

09-08-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 425 Views

Books from Dr Archana Gupta

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