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1 Nov 2016 · 1 min read

समय बदलते सूखी धरती मुस्काती :: जितेंद्र कमल आनंद

मुक्तक ( पोस्ट १२७)
———————–
समय बदलते सूखी धरती मुस्काती ऐसे बाला ।
नयी नवेली ओढ चुनरिया मदमाती जैसे बाला ।
सृष्टि – चक्र का घूर्णन निश्चित सुखद समय भी लाता यों नवल प्रकृति की गोद — मोद में शर्माती जैसे बाला ।।

—– जितेन्द्रकमल आनंद
१-११-१६ — सॉई| विहार| कालोनी
रामपुर — २४४९०१( उ प्र )

Language: Hindi
161 Views
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