समझा होता अगर हमको

यह कदम हम ना उठाते, समझा होता अगर हमको।
होते नहीं हम आज ऐसे, दिया होता सम्मान हमको।।
यह कदम हम ना उठाते————–।।
भूल हमसे क्या हुई थी, हमको तुम यह तो बताते।
हमसे थी कोई शिकायत तो, हमको भी वह बताते।।
होते नहीं हम ऐसे पराये, माना होता अपना हमको।
यह कदम हम ना उठाते—————–।।
हमने कब तुमको नहीं दी,इज्जत और खुशी दिल से।
मनाया नहीं जब तुमको, रूठी हो जब भी तुम हमसे।।
हम आज ऐसे नहीं रुठते, किया होता प्यार हमको।
यह कदम हम नहीं उठाते—————-।।
दिखाया है अक्सर तुमने, अहम दौलत और सूरत का।
किया मुझको बदनाम और, समझा नहीं प्यार दिल का।।
चाहते नहीं आज हम दौलत, दिया होता सहारा हमको।।
यह कदम हम नहीं उठाते—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)