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15 Jan 2022 · 1 min read

‘सब वैसा ही है सिवाय तुम्हारे’

सब वैसा ही है यहाँ जैसा तुम छोड़कर निकल पड़े थे। तुम्हारे कपड़े प्रैस करके रखे हैं । रोज नया अखबार तुम्हारी टेबल पर सजाते देते हैं। शाम के वक्त सज धजकर द्वार पर बार -बार आते हैं, तुम्हारे स्वागत में मंद मुस्कान बिखेरने को। तुम्हारा मन-पसंद भोजन सजा रहता है टेबल पर। सब वैसा ही है।पर….एक जगह खाली लगती है…वो कब भरेगी? कब लौटौगे?

Language: Hindi
Tag: लेख
130 Views
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