Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2020 · 1 min read

सब कह रहे हैं

सूनी सूनी रोड़ है ।
सूना सूना मोड़ है ।
सब कह रहे है,
यही कोरोना का तोड़ है ।

घर में रहो डटे ।
लोगो से रहो कटे ।
सब कह रहे है,
तभी कोरोना हटे ।

नित नित हाथ धोए ।
मास्क सदा लगाए ।
सब कह रहे,
तभी कोरोना जाए ।

सब जन जागे ।
मिलकर आए आगे ।
सब कह रहे,
तभी कोरोना भागे ।

सह लो थोड़े थोड़े कष्ट ।
हो लो थोड़ा थोड़ा रुष्ट ।
सब कह रहे,
तब ही होगा कोरोना नष्ट ।

यही संघर्ष रखो जारी ।
बनकर तुम आज्ञाकारी ।
सब कह रहे ,
कोरोना का भागना जारी ।
।।।जेपीएल।।

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
2 Likes · 210 Views

Books from जगदीश लववंशी

You may also like:
माँ चंद्र घंटा
माँ चंद्र घंटा
Vandana Namdev
इतनी उम्मीद
इतनी उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
शिव दोहा एकादशी
शिव दोहा एकादशी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जुबाँ चुप हो
जुबाँ चुप हो
Satish Srijan
कभी चुपचाप  धीरे से हमारे दर पे आ जाना
कभी चुपचाप धीरे से हमारे दर पे आ जाना
Ranjana Verma
Choose yourself in every situation .
Choose yourself in every situation .
Sakshi Tripathi
मानस तरंग कीर्तन वंदना शंकर भगवान
मानस तरंग कीर्तन वंदना शंकर भगवान
पागल दास जी महाराज
दिल यही चाहता है ए मेरे मौला
दिल यही चाहता है ए मेरे मौला
SHAMA PARVEEN
तेरी ज़रूरत बन जाऊं मैं
तेरी ज़रूरत बन जाऊं मैं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
💐प्रेम कौतुक-257💐
💐प्रेम कौतुक-257💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
★रात की बात★
★रात की बात★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
:: English :::
:: English :::
Aksharjeet Ingole
तेरे ख़त
तेरे ख़त
Surinder blackpen
आस्तीक भाग-दो
आस्तीक भाग-दो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बाल हैं सौंदर्य मनुज का, सबके मन को भाते हैं।
बाल हैं सौंदर्य मनुज का, सबके मन को भाते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गांव
गांव
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
Ram Krishan Rastogi
डियर जिंदगी ❤️
डियर जिंदगी ❤️
Sahil Shukla
भू- भूधर पहने हुये, बर्फीले परिधान
भू- भूधर पहने हुये, बर्फीले परिधान
Dr Archana Gupta
धीरे-धीरे समय सफर कर गया
धीरे-धीरे समय सफर कर गया
Pratibha Kumari
■ त्रासदी
■ त्रासदी
*Author प्रणय प्रभात*
व्यवस्था परिवर्तन
व्यवस्था परिवर्तन
Shekhar Chandra Mitra
गरूर मंजिलों का जब खट्टा पड़ गया
गरूर मंजिलों का जब खट्टा पड़ गया
कवि दीपक बवेजा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
Shayri
Shayri
श्याम सिंह बिष्ट
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】*
*छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】*
Ravi Prakash
दफन
दफन
Dalveer Singh
अजनबी सा लगता है मुझे अब हर एक शहर
अजनबी सा लगता है मुझे अब हर एक शहर
'अशांत' शेखर
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
Pt. Brajesh Kumar Nayak
Loading...