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4 Apr 2023 · 1 min read

“सबसे प्यारी मेरी कविता”

डॉ लक्ष्मण झा परिमल

================

सोचा थोड़ा

विराम दे दूँ

अपनी कविता को

आराम दे दूँ

नेटफलिक्स ,प्राइम से

जुड़ कर

बौझिलता को

दूर कर दूँ

पर मैं अपना दिल

इस पर

निछावर कर ना सका

एक दो के बाद

मुझको सारे

एक जैसा ही

लगने लगा

फेसबूक को फिर

पढ़ना चाहा

पर यहाँ भी

लोग स्तब्ध हैं

बहुत कम लोग

बातें करते हैं

अपने ही घरानों में

वो मस्त हैं

व्हाट्सप्प का भी

विशाल क्षितिज

बन गया है

लोग स्वयं कुछ

लिखते नहीं हैं

बस गोली दागने का

सिस्टम ही

सिर्फ रह गया है

मैं फिर लौटकर ,

हारकर घर

वापसी कर लिया

अपनी कविता को अपने

सीने से फिर लगा लिया !!

================

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”

साउंड हेल्थ क्लिनिक

डॉक्टर’स लेन

दुमका

झारखण्ड

भारत

04.04.2023

Language: Hindi
274 Views
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