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19 May 2023 · 1 min read

सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता

सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता
चल पड़े है कदम जहां ले चले रस्ता
टिकट कटा कर बैठ गये है अब तो हम गाड़ी में
देखा जाएगा भाई जो भी होगा अब रजधानी में
दो जोडी कपड़े है और रखी है कुछ पुस्तक
आंखों में कुछ सपने लेकर आ गये हम देने दस्तक
कठिनाई जो भी होगी हम उससे लड़ जाएंगे
कदम नहीं कभी हमारे लड़खड़ाएंगे
कहने दो जो कहते हैं तुम से ना हो पाएगा
मन के भीतर तो सच ये तुम से ही हो पाएगा
सफर पे निकल गये है उठा कर के बस्ता
चल पड़े है कदम जहां ले चले रस्ता
टिकट कटा कर बैठ गये है अब तो हम गाड़ी में
देखा जाएगा भाई जो भी होगा अब रजधानी में
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)

1 Like · 303 Views
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